सिटी न्यूज़ डेस्क: नालंदा विश्वविद्यालय ने भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस को अपने सुरम्य राजगीर परिसर में भव्यता, गरिमा और देशभक्ति के साथ मनाया। कार्यक्रम की शुरूआत कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने से हुई, जिसके बाद छात्रों ने राष्ट्रगान प्रस्तुत किया और विश्वविद्यालय सुरक्षा कर्मियों ने अनुशासित मार्च पास्ट किया।
अपने संबोधन में प्रोफेसर चतुर्वेदी ने देश की 78 वर्षों की गौरवशाली यात्रा, भविष्य के निर्माण में युवाओं की अहम भूमिका और नालंदा विश्वविद्यालय के समावेशी एवं सीमाओं से परे ज्ञान के केंद्र के रूप में स्थायी संकल्प पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “नालंदा में ‘यत्र विश्वं भवत्येक नीडम्’ का प्राचीन आदर्श आज साकार रूप ले रहा है। बीस से अधिक देशों के छात्र यहाँ एक साथ रहकर और सीखकर विविधता में एकता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। हम नवाचार, उत्तरदायित्व और मानवता की सेवा के अपने संकल्प को निरंतर मजबूत कर रहे हैं।”
छात्रों को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि, राजदूत अभय कुमार, शिक्षाविद् विवेकानंद पाई, नीति विशेषज्ञ हेमांग जानी और सामाजिक उद्यमी मनोहर शिंदे ने नेतृत्व, सामाजिक जिम्मेदारी और शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति पर अपने विचार साझा किए। इस अवसर का विशेष आकर्षण ज्ञान दंड प्रतिष्ठा एवं वैदिक मंत्रोच्चार रहा, जो नालंदा विश्वविद्यालय की प्राचीन ज्ञान परंपरा और आधुनिक शिक्षा के संगम का प्रतीक है। सांस्कृतिक कार्यक्रम में संगीत, नृत्य और कलात्मक प्रस्तुतियों के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम का समापन समूह छायाचित्र और धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय परिवार की सामूहिक गर्व और एकता की भावना झलक रही थी।
इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय की हाल की शैक्षणिक उपलब्धियों को भी रेखांकित किया गया। मात्र दो महीनों में संकाय और छात्रों ने 50 से अधिक शोध-पत्र प्रकाशित किए और विश्व पुरातत्व कांग्रेस (ऑस्ट्रेलिया) व जकार्ता में ASEAN फाउंडेशन बैठक सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया। विश्वविद्यालय ने इंटीग्रेटेड इनक्यूबेशन सेंटर, “स्पिरिट ऑफ नालंदा” पाठ्यक्रम और विकास एवं सततता अध्ययन केंद्र जैसी नई शैक्षणिक पहलें शुरू की हैं। सहभागिता संवाद के माध्यम से आस-पास के गाँवों के साथ संसाधन साझा करना, कौशल विकास और विद्यालयी सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं, पौधारोपण अभियान, ‘आयुर्वेदिक वन’ और नेट-ज़ीरो कैंपस की दिशा में पहलें सतत विकास के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
इस स्वतंत्रता दिवस ने भारत की गौरवशाली विरासत को नमन करते हुए एक ऐसे भविष्य का संकल्प दोहराया, जिसमें नालंदा विश्वविद्यालय समावेशन, नवाचार और उत्कृष्टता के साथ अग्रणी भूमिका निभाता रहेगा।
