सिटी न्यूज़ डेस्क।हरनौत के केवीके में गाजर घास जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। यह सप्ताह 16 से 22 अगस्त तक मनाया जाएगा । प्लांट पैथोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. आरती कुमारी ने बताया कि कहा कि गाजर घास (पार्थेनियम) देश के विभिन्न भागों में कांग्रेस घास, सफेद टोपी, चटक चांदनी, गंधी बुटी आदि के नाम से जाना जाता है। यह देश के 35 मिलियन हेक्टेयर में फैला हुआ है। कहा कि वर्षा ऋतु में इसका अंकुरण होने पर भीषण खरपतरवार का रूप ले लेती है। कहा कि यह घास तीन-चार महीने में अपना जीवन चक्र पूरा कर लेती है। बताया कि इस घास से मनुष्यों में त्वचा संबंधी एलर्जी, दम्मा, बुखार आदि पैदा होता है। पशुओं के लिए यह खरपतवार हानिकारक है। कहा कि इसके रोकथाम के लिए गाजर घास में फुल आने से पहले जड़ को उखाड़ देना चाहिए। गेंदे के पौधे लगाकर गाजर घास के फैलाव को रोका जा सकता है। उन्होंने इसके उन्मूलन को लेकर विविध जानकारी दी। इस मौके पर गृह वैज्ञानिक डॉ ज्योति कुमारी ,पशु चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ विद्या शंकर सिन्हा , विक्की कुमार समेत अन्य मौजूद थे।